Friday, November 16, 2012


















तुम्हारे प्यार में डूबी हुई एक याद हूँ मै 
तेरी सांसो में शामिल हूँ तभी आबाद हूँ मै 
मै जब भी टूट कर बिखरी हूँ तुमने थामा है 
मै तुमसे दूर हूँ फिर भी तुम्हारे साथ हूँ मै 

Tuesday, November 13, 2012
















सोंधी सी मिटटी के तपे हुए दीपक में 
सुनहरी लौ आज फिर जगमगाई है 
रंगोली रंगों की, मनचाहे ढंगों की 
हर घर की चौखट पर फिर मुस्कुरायी है 
घनघोर काली सी एक रात पर 
फिर से नन्हे से दीपक ने जीतकर दिखाई है
मित्रो को, सखियों को, गैरों को अपनों को
छोटो को - बडको को, सबको बधाई है

Tuesday, November 6, 2012





















इस राह पर चलते चलते 

आओ चलें 
सबकुछ भूल 
बाँहों में बाहें डाले 
कंधे पर सर टिकाये 
इस लम्बे से रास्ते  पर 

शायद इस दूरी को 
तय करते करते 
दूर हो जाएँ 
आपस की दूरियां 
तुम समझ सको मेरी 
मै समझ सकूँ
तुम्हारी मजबूरियां 

यूँ ही थकते संभलते 
गिरते उठते 
शायद संभलना 
और संभालना आ जाये 
सख्त होती रूखी टहनियों पर 
फिर से कुछ नमी आ जाये 

यूँ ही कदम मिलाकर 
साथ चलते चलते 
याद आ जाएँ शायद तुम्हे 
सप्तपदी के सातों वचन 
और मै तुम फिर हम हो जाएँ 
इस राह पर चलते चलते 

Friday, November 2, 2012

तेरी याद

गिरी असमान से
फंसी टहनियों पर 
फिसल कर न जाने 
कहाँ गिर पड़ी है 

तेरी याद कोने में 
छुप कर थी बैठी 
घनी रात तक मुझसे 
जमकर लड़ी है 

इसे देख कर
फेर लेती हूँ चेहरा 
मगर ढीठ ऐसी 
ये अबतक खड़ी है 

नहीं हार मानी है 
मैंने किसी से 
मगर इससे हारी 
ये जिद्दी बड़ी है