Friday, October 28, 2011


नज़र बचा कर भाग चलो
या कर लो लड़ने की तैयारी

रात और दिन जैसा जीवन
गम आयेगा बारी बारी

एक मुसीबत ख़तम हुई तो
एक हो गयी फिर से जारी

माना वो लम्हा है मुश्किल
जाना वो पल कितना भारी

जीत कहा जाएगी बचकर
गर होगी पूरी तैयारी

उतनी ही चटकीली सुबह
रात कटी हो जितनी काली

Thursday, October 20, 2011

ईश्वर अगर तुम हो

ईश्वर अगर तुम हो
तो लोग अपंग क्यों है?
कितनो की आँखों में रौशनी नहीं
उनके सपने बेरंग क्यों है?
क्यों कुछ मासूम
जिंदगी घुट घुट कर बिताते हैं
क्यों भोले लोग ही
अक्सर सताए जाते हैं
क्यों अनाज पैदा करने वाले किसान
भूख से मर जाते हैं
क्यों नेता देश को
नोच नोच कर खाते हैं
ईश्वर अगर तुम हो
तो मुझे बताना ज़रूर
क्योंकि मैंने सुना है
गलती केवल इंसानों से होती है