Monday, March 15, 2010

जिंदगी राहों में कैसे मोड़ देती है?
हिम्मतों की हर इमारत तोड़ देती है,
अपने हो जाते हैं पल भर में पराये से...
गैरों से गहरे से रिश्ते जोड़ देती है.

3 comments:

  1. बढ़िया!

    आपको नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.

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  2. दिल को छू गयी आपकी ये पँक्तियाँ। आपको नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.

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  3. zindagi ki sacchai,kuch panktiyo doara,
    ma'am ne batai

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