Thursday, July 30, 2009

चमकती चुभन से बेहतर झिलमिलाती छुअन है

सब जानते है सूरज की रौशनी के आगे कोई नही टिक पाया...
उसके जैसा उजाला किसी ने नही फैलाया ….
पर फिर भी अँधेरी रातों में
टिमटिमाते जुगनू , झिलमिलाते दिए और तारों की कतारें
क्या दिल को नही लुभाती ?
क्या उनकी सुकून देती रौशनी कुछ एहसास नही जगाती ?
क्यों लोग रूमानी बातें candle light में बताते है ?
क्यों मन के अंदरूनी जज़्बात अंधेरे में ही जगमगाते है ?
क्योंकि चमकती चुभन से बेहतर झिलमिलाती छुअन है
हर दमकती रौशनी के पीछे
छाता लगाकर बैठा हुआ एक नटखट सा मन है
जो चाहता है थोड़ा सा अँधेरा जिसमे वो कर सके मनमानी
और दुनिया न जान पाए उसकी खुराफातों की कहानी

1 comment:

  1. one of the best poetries i hav read...wat sets it apart is its dioctomy,comparison between parallels to create a positive vision for what we regard condemed or forsaken like darkness...!! loved it alot

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